सरसों की खरीद को लेकर Haryana सरकार बडा फैसला, यहां जाने अपडेट
हरियाणा सरकार ने किसानों को बड़ी राहत देते हुए इस बार सरसों की सरकारी खरीद को निर्धारित समय से 13 दिन पहले शुरू करने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री नैब सिंह सैनी ने बताया कि इस बार किसानों को अपनी सरसों बेचने के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा।

Haryana सरकार ने राज्य के किसानों को एक बड़ी राहत देते हुए इस बार सरसों की सरकारी खरीद की प्रक्रिया को निर्धारित समय से 13 दिन पहले शुरू करने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इस निर्णय की घोषणा करते हुए कहा कि इस बार किसानों को अपनी सरसों बेचने के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। रबी विपणन सत्र 2025-26 के लिए सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 5950 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। इस कदम से किसानों को उनके कठिन परिश्रम का उचित मूल्य मिलेगा और उन्हें वित्तीय सुरक्षा प्राप्त होगी।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकारी एजेंसियां खरीद प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी बनाए रखेंगी। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी बताया कि ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ पोर्टल पर पंजीकरण करवाना किसानों के लिए अनिवार्य होगा। बिना पंजीकरण के किसी भी किसान की फसल की खरीद नहीं की जाएगी।
सरकार ने की विशेष तैयारियां
सरकार ने सरसों की खरीद प्रक्रिया को सुचारू रूप से संचालित करने की जिम्मेदारी हरियाणा राज्य सहकारी आपूर्ति और विपणन संघ (HAFED) और हरियाणा राज्य वेयरहाउसिंग कॉर्पोरेशन को सौंपी है। ये दोनों एजेंसियां किसानों से सरसों की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर करेंगी।
सरसों उत्पादन के आंकड़े
सरकार के अधिकारियों के अनुसार, हरियाणा में आमतौर पर सरसों की खेती 17 से 20 लाख एकड़ क्षेत्र में होती है, लेकिन इस साल यह क्षेत्र बढ़कर 21.08 लाख एकड़ तक पहुंच गया है। कृषि विभाग के अनुमान के अनुसार, इस वर्ष राज्य में लगभग 15.59 लाख मीट्रिक टन सरसों का उत्पादन होने की संभावना है।
किसानों को दी गई विशेष सलाह
सरकार ने किसानों से आग्रह किया है कि वे अपनी फसल की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दें, ताकि उनकी फसल बिना किसी रुकावट के आसानी से बेची जा सके। किसानों को सलाह दी गई है कि वे अपनी फसल को पूरी तरह से साफ करें और उसमें नमी की मात्रा 8% से कम रखें, ताकि सरकारी एजेंसियां इसे आसानी से खरीद सकें।
मुख्यमंत्री का बड़ा बयान
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने अधिकारियों को कड़ी हिदायत दी है कि इस बार खरीद प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि किसानों को किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना पड़े, इसके लिए सभी विभागों को मिलकर काम करना होगा और सुनिश्चित करना होगा कि किसानों को उनके कठिन परिश्रम का पूरा मूल्य मिले।
मध्यस्थों पर कड़ी निगरानी
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि खरीद प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी या धोखाधड़ी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसके लिए मंडियों में विशेष टीमों की तैनाती की जाएगी, जो मध्यस्थों पर कड़ी निगरानी रखेंगी। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी भी किसान के साथ धोखाधड़ी न हो। अगर किसी प्रकार की अनियमितता पाई जाती है, तो संबंधित अधिकारियों और बिचौलियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
फसल पंजीकरण प्रक्रिया
किसानों को सरकारी दर पर अपनी फसल बेचने के लिए ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ पोर्टल पर पंजीकरण करवाना अनिवार्य होगा। बिना पंजीकरण के किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ नहीं मिलेगा। पंजीकरण प्रक्रिया बहुत सरल है, जिसे किसान घर बैठे ऑनलाइन पूरा कर सकते हैं।
खरीद के दौरान किसानों को रखनी होगी ये दस्तावेज़
सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि खरीद के दौरान किसानों को कोई भी परेशानी न हो, इसके लिए उन्हें कुछ आवश्यक दस्तावेज़ रखने होंगे:
- भूमि स्वामित्व दस्तावेज
- बैंक खाता विवरण
- आधार कार्ड
- सरसों फसल सत्यापन दस्तावेज
108 मंडियों में की गई है विशेष व्यवस्था
किसानों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने राज्य भर में सरसों की खरीद के लिए कुल 108 मंडियों की व्यवस्था की है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि किसानों को किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना चाहिए। सभी संबंधित विभागों को यह सुनिश्चित करना होगा कि खरीद प्रक्रिया पूरी तरह से सुचारू रूप से चले।
हरियाणा सरकार का यह निर्णय राज्य के किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। सरसों की खरीद प्रक्रिया में सरकार द्वारा की गई सभी तैयारियां, जैसे कि पंजीकरण की अनिवार्यता, गुणवत्ता की जांच, और मध्यस्थों पर कड़ी निगरानी, यह सुनिश्चित करेंगी कि किसानों को उनका हक मिलता है। इस निर्णय से न केवल किसानों को अपनी फसल के लिए बेहतर मूल्य मिलेगा, बल्कि इससे सरकारी प्रक्रिया में पारदर्शिता भी आएगी। सरकार की यह पहल किसानों के लिए एक स्वागत योग्य कदम है, जो उनकी मेहनत और समर्पण को सम्मान देने के लिए है।